दुःखी जन तेरो द्वार, प्रभु देखत राहे,
प्रभु आये मेरो द्वार, मैं केधो देखत राहूँ।
दुख-सुख लावे रहे, मैं तहूँ लुपचार
हे प्रभु कैसन भांगू ,ये मनका कारागार ?
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दुःखी जन तेरो द्वार, प्रभु देखत राहे,
प्रभु आये मेरो द्वार, मैं कहाँ देखत राहूँ।
दुख-सुख लावे रहे, मैं तहूँ लुपचार
हे प्रभु कैसन भांगू ,ये मनका कारागार ?
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दुःखी जन तेरो द्वार, प्रभु देखत राहे,
प्रभु आये मेरो द्वार, मैं कहाँ देखत राहूँ।
दुःख सुख लावे रहे, मैं तहूँ लुपचार
हे प्रभु कैसन भांगू ,ये मनाचा कारागार ?
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लुपचार : ये शब्द वास्तविकतः हिंदी शब्दकोष में नहीं है, जहाँ तक मुझे पता है । पर मनगढ़न शब्दों के प्रति कोई मनाही नहीं होने के नाते, मैंने ये प्रयोग किया है। हिंदी में "लूप" का मतलब है दुम या पूँछ। मैं कविता में कहना चाहता हूँ की कवी अपने जीवन और मन में व्यस्त हैं। एक प्रकार से कहा जाए तो कवी उनका सर उनके "पूँछवाड़े" में ले के जी रहा हैं ! और एक तरीके से देखें तो "लुपचार" के ध्वनि या पकड़ में "लुप्त" और "लाचार" दोनों पाए जा सकते हैं। इस प्रयास को अगर पसंद ना आये तो प्रिय पाठक माफ़ कीजियेगा। आपको शुभ प्रणाम।
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